Nagar Raajbhaashaa Karyaanvay Samitee,
Patiala’s half-yerly meeting held at Income Tax Office, Patiala on 20th
May, 2014 during which the prize distribution in respect of Hindi promotional events conducted in
the 2nd half of year-2013 was also held in which Mr. Sunil Kumar, Inspector
Posts (Public Grievances), Patiala Division has been awarded with the third
prize for his following Hindi poem
titled ‘Triskrit-Hindi’ which has
also been published by the Samitee in
the very first issue of its magazine named ‘Raajbhaashaa
Darpan’, released during the said meet.
तृस्कृत हिन्दीपूछती है घुप अन्धेरे में से निकली ये किरण
क्या मेरे प्रकाश को आवास देगा ये चमन
बादलों के पार से हूं झांकती शर्मा के मैं
पुष्प जब हंसते हैं तो लोटती घबरा के मैं
क्यूं भंवर करते नहीं अब मेरे शब्दों का गुंजन
क्यूं मुझी को कोसता अब मेरा अपना नील-गगन
पूछती है……
कल जो कलियां थे वही पुष्प हैं अब हो चुके
शब्द मेरे उनके मुख से रूष्ट हैं अब हो चुके
जिनकी लारों से टपकती थी मैं बन कर तोतली
क्यूं उन्होंनें कर दिया मेरे मातृत्व का हनन्
पूछती है……
तख्तियों पर बंध लटकती अपनों की आंखों में खटकती
वर्ष में इक बार केवल मेरी किस्मत है चमकती
घर हो या दफ्तर हो कोई या कोई मन की गली
क्यूं है घटता जा रहा अब हर जगह मेरा चलन
पूछती है……
संतान भारत वर्ष की थी मेरे आंचल में पली
अब मैं तो जैसे मर चुकी बस मां अंग्रेज़ी हो चली
जिस देश के वीरों नें दी मेरे लिये अपनीं बली
क्यूं उन्हीं की पीढ़ियों नें मुझ पे पहनाए कफन
पूछती है घुप अन्धेरे में से निकली ये किरण
हुंहक्या मेरे प्रकाश को आवास देगा ये चमन
सुनील कुमार 'नील'
निरीक्षक डाक विभाग पटियाला।
3 comments:
DEAR SUNIL "NEEL",
SUCH AN IMPRESSIVE WRITING;
TRUTH REFLECTS IN EACH WORD OF IT;
I HOPE FEW OF US MUST GET INSPIRED AND INFLUENCED.
CONGRATS.........
Very Hearty congratulations Dear Sunil. Keep it up.
Sanjeev
ASP(HQ), Sangrur
Thanks to all for offering their valuable comments.
Almighty bless.
Sunil.
Post a Comment